कविता

जब बुखार बन गया फीवर

एक था गबरू
बन गया गब्बर
देश – दुनिया में  खूब
मचाया अंधेर
नए जमाने में  उसी के  रीमेक
की  तरह बुखार बन गया फीवर
जिसके नाम से अब  दुनिया  कांपे  थर – थर
नाम सुनते ही क्या राजू क्या राजा
पसीने से हो रहे तर – बतर
बुखार वाले को देखते  ही क्या छोटे क्या बड़े
अच्छे – अच्छे डॉक्टर भी कर रहे
हाथ खड़े
दौडों  – भागो टेस्ट कराओ
नहीं तो कहीं जाकर मर जाओ .
ट्रेन बंद , प्लेन बंद
बंद मेला – ठेला
सिर्फ़ दवा दुकानों के  सामने
दिखता है इंसानों का  रेला
— तारकेश कुमार ओझा 

*तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) पिन : 721301 जिला पश्चिम मेदिनीपुर संपर्क : 09434453934 , 9635221463