गीत/नवगीत

सैनिक

गलवान धरा पर शत्रु चढ़ा,
तब क्रोधित सैनिक द्वार अड़ा
विकराल विराट स्वरूप धरा
रिपु सम्मुख है यमदूत खड़ा
पद वक्ष रखा कर बाँध लिया,
पटका उसको मुख मुष्टि जड़ा
धर हस्त ध्वजा जयघोष किया,
सुन गर्जन भूमि अराति पड़ा

वह पर्वत गह्वर में चलता,
चुपके छिपके अति कष्ट सहे।
पितु मातु सहोदर से न मिला,
वन बीहड़ में मदमस्त रहे।।
जब लोहित देह हुई रण में,
मुख से जय भारत घोष कहे।
ध्वज को फहरा गिरि शृंग रखे,
तब प्राण तजे यह देह ढहे।।

अनंत पुरोहित ‘अनंत’

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 [email protected]