हादसे हो गए
हादसे हो गए
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दर्मियां जब घने फासले हो गये |
हाय तन्हा मेरे काफिले हो गये |
ज़िंदगी के सभी रास्ते खो गये-
ख्वाब देखे थे जो अनमने हो गये |
इक जमाना था जब हर तरफ़ प्यार था-
क्यों जुदा प्यार के रास्ते हो ग ये |
याद आते हैं लम्हात गुज़रे हुये-
वो जो अपने थे क्यों दूसरे हो गये |
साथ चलने का वादा किया था कभी-
क्या हुआ क्यूं ये शिकवे गिले हो गये|
झूठ लगने लगे हैं ज़मी आसमां –
जिन्दगी में बडे जलजले हो गये |
बात तब और थी बात अब और है –
बात ही बात में हादसे हो गये |
मंजूषा श्रीवास्तव”मृदुल”