नवयुग का निर्माण करें
जीवन को नियमित बना कर,नवयुग का निर्माण करें
ह्रदय से सब की सेवा कर,राष्ट्र चेतना का ही व्रत लें
जियें स्वयं भी प्रसन्ता से,और सभी को जीने दें
करें बुरा ना कभी किसी का,बुरा करे उसे दंड दें
जाति पाति और शहर गाँव का,भेद सदा को मिट जाये
रिश्वतखोरी,चोरबाजारी का, सब मिलकर अंत करें
— डा केवलकृष्ण पाठक