गीत/नवगीत

क्या से क्या हो गये..

क्या  से  क्या  हो  गये…,
ज़िन्दगी  तेरे  चाह  में …।
           गर्दिश  की  फूल  हो  गये…,
           ज़िन्दगी  तेरे  राह  में  ……।।
सोचा  नहीं …,समझा  नहीं  ..।
 जांचा  नहीं …, परखा नहीं..।। -2
आकर  बस  गया  ये…,
मज़हबी  तेरे  पनाह  में ।
     पैरों  तले का बबूल  हो गये,
      ज़िन्दगी  तेरे  राह  में  …।।
              क्या  से  क्या  हो  गये…,
              ज़िन्दगी  तेरे  चाह  में…।।
इश्क़ को खेला कभी ,
हुस्न की मेला कभी ।
      सितमगर की सितम…,
      हमने  झेला  कभी …।।-2
ज़िन्दगी  बरबाद…,
आदमी  तेरे  गुनाह में ।
      गर्दिश  की  फूल  हो  गये ,
      ज़िन्दगी  तेरे  राह  में …।।
           क्या  से  क्या  हो  गये…,
           ज़िन्दगी  तेरे  चाह  में…।।
दर दीवारों से पूछा…,
 परिवारों से पूछा …।
     मशवरा दे कोई हमें…,
     उड़ती परिन्दों से पूछा।। -2
प्यार के जेलखानों में..,
बन्दगी तेरे आह में….।
     पैर तले का बबूल हो गये,
     ज़िन्दगी  तेरे राह में …।।
             क्या  से  क्या  हो  गये…,
             ज़िन्दगी  तेरे  चाह  में  ।।।।।
— मनोजवम

मनोज शाह 'मानस'

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