गीतकार गुलजार
पूरा नाम ‘सम्पूरन सिंह कालरा’ है, जो कार मैकेनिक थे, किन्तु ‘गुलज़ार’ उपनाम ने उन्हें वैश्विक ऊँचाइयों दी, जिस भाँति से UNO में हिंदी में भाषण देनेवाले पहले व्यक्ति भारत रत्न अटल जी थे, वहीं विदेशी संस्थान व अमेरिकी संस्थान Ford Foundation के International Fellowship के लिए हिंदी में साक्षात्कार देनेवाला मैं भी पहला भारतीय हूँ।
गुलज़ार साहब के हिंदी गीत ‘जय हो….’ को ‘ऑस्कर अवार्ड’ मिला था, जोकि इस मंच से हिंदी के लिए पहलीबार वैश्विक सम्मान की बात रही, किन्तु ऑस्कर अवॉर्ड समारोह का निश्चित ‘ड्रेस कोड’ व पेंट-शर्ट व सफारी-कोट नहीं पहनने के कारण व धोती और पायजामा में समारोह में प्रवेश की इजाजत नहीं मिल पाने से विक्षुब्ध होकर उन्होंने अपने तरफ से ऑस्कर अवार्ड समारोह का बॉयकाट किया ! ऐसे हैं, हिंदी और भारतीय संस्कृति के संरक्षक ‘गुलज़ार’ साहब शतायुजीवी हों ! ऐसी मेरी कामना है !