चिड़िया रानी
चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,
सचमुच तुम हो बड़ी सयानी.
फर-फर फुर-फुर उड़ती हो,
दाना-दाना चुगती हो,
तिनका चुन-चुन नीड़ बनातीं,
कभी न श्रम से तुम घबरातीं.
इधर उछलना, उधर फुदकना,
अच्छा लगता तुम्हें चहकना.
कभी ना शाला का भय तुमको,
पढ़ता कौन, पढ़ाना किसको?
तुम स्वतंत्र हो तुम निर्भय हो,
तुम जीवन की मधुरिम लय हो.
महलों में भी करती डेरा,
लगता जोगी वादा फेरा..
चीं-चीं चूं-चूं करती जातीं,
हम बच्चों का मन बहलातीं.