बाल कविता

चिड़िया रानी

चिड़िया रानी, चिड़िया रानी, चिड़िया दाना खाती - Google Search
सचमुच तुम हो बड़ी सयानी.

फर-फर फुर-फुर उड़ती हो,
दाना-दाना चुगती हो,

तिनका चुन-चुन नीड़ बनातीं,
कभी न श्रम से तुम घबरातीं.

इधर उछलना, उधर फुदकना,
अच्छा लगता तुम्हें चहकना.

कभी ना शाला का भय तुमको,
पढ़ता कौन, पढ़ाना किसको?

तुम स्वतंत्र हो तुम निर्भय हो,
तुम जीवन की मधुरिम लय हो.

महलों में भी करती डेरा,
लगता जोगी वादा फेरा..

चीं-चीं चूं-चूं करती जातीं,
हम बच्चों का मन बहलातीं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244