14 ज्ञानपरखीय क्षणिकाएँ
1.
मास्टर
एक तो मास्टर डिग्री ली,
दूजे ‘मास्टर’ भी बना;
बावजूद हम
जाति-धर्म से निकले नहीं,
तो हमने
इतनी पढ़ाई की ही क्यों ?
2.
अनावश्यक कयास
अतीत के चक्कर में
हम अपना
वर्त्तमान को खराब क्यों करें ?
भविष्य तो गर्भ में है,
फिर उसके प्रति
अनावश्यक दुराग्रह पालना क्यों ?
3.
दो शे’र
गिरिजाकुमार माथुर जी का शे’र है-
‘इतना मत दूर रहो,
गंध कहीं खो जाए;
आने दो आँच,
रोशनी न मंद हो जाए !’
गुलजार साहब का शे’र है-
‘डर लगता है उनलोगों से,
जिनके दिल में भी दिमाग होते हैं !’
4.
उछाल
सेक्स और सेंसेक्स में
कई समानताएं हैं,
ये दोनों उन्हीं को मिलते हैं,
जिनके पास संपत्ति,
धैर्य व दमदार कॅरियर हो!
तभी उछाल आएंगे?
5.
गृह-प्रवेश
वैसे कथित सवर्ण मित्र!
जिसे मेरे विचार पसंद नहीं हैं,
जो अभी भी शूद्रों के
गृह-प्रवेश से
असहज रहते हैं,
वे मुझसे अलग हो सकते हैं !
6.
भुक्खड़
एक मित्र (स-वर्ण) के यहाँ
उनके किचन से
बालसुलभतावश
‘पापड़’ लेने पर
उनकी पत्नी ने
मुझे टोकी थी-
‘से इत्ता भुक्खड़ हो आप !’
7.
दुर्व्यवहार
बचपन में जब
किसी के यहाँ टीवी देखने जाता,
तब टीवी मालकिनों के
व्यवहार से
समझ जाता था
कि यह मेरा घर नहीं है
और मैं बैकवर्ड हूँ !
8.
विलासी जिंदगी
अब लोग
पढ़ाई इसलिए करते हैं
कि अच्छी नौकरी मिले;
नौकरी मिलने के बाद
छोकरी की तलाश में
जुट जाते हैं !
फिर शुरू होती
विलासी ज़िन्दगी?
9.
संभव
नेल्सन मंडेला ने कहा है-
जबतक किसी काम को
किया नहीं जाता,
तब तक वह
असंभव लगता है !
10.
वहीदा रहमान
महानायक अमिताभ बच्चन से
जब भी पूछा गया
कि उनकी नजर में
सर्वोत्तम अदाकारा कौन है,
तो हरबार उन्होंने
एक ही उत्तर दिया-
वहीदा रहमान
11.
ढोंग
फ्रांसिस बेकन ने कहा है-
बुरा आदमी उस समय
और भी बुरा हो जाता है,
जब वह अच्छा होने का
उपक्रम व ढोंग करता है !
12.
शारीरिक-संबंध
संसार में एक संबंध ऐसा..
जो न धर्म-जाति देखता;
न छोटी-बड़ी जाति भेद करता;
न गोरा-काला,
न अमीरी-गरीबी का भेद!
वो है शारीरिक-संबंध ?
13.
सही बात
महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब ने
‘शादी’ को
दूसरा ‘जेल’ बताया था !
सचमुच में यह
सही बात है !
14.
कथा अनंता
एक ‘सिंह’ की
‘अनंत’ कथा !
क्या सचमुच ?
‘सिंह’ या कि ‘ऊँट’
पहाड़ के नीचे आ गए ?