व्यंग- कोरोना में नेता जी
वो युवा नेताजी कम समय में बड़ा नाम कर चुके थे, आज सुबह अचानक वो मेरे घर पर धमक पड़े। गरीब लेखक के घर काली चाय के सिवाय और क्या मिलता सो मीठी बातो से उनका भव्य स्वागत किया।
नेताजी बहुत उदास थे, मेरे पूछने पर नेताजी ने बताया कि “कोरोना महामारी के चलते आजकल उनका मार्केट डाउन चल रहा है, जनता उनके बारे में बात नहीं कर रही हैं। कहीं भी उनके चर्चे नहीं हो रहे हैं, फेसबुक, ट्विटर पर कम लाइक्स और शेयर मिल रहे हैं जिससे मेरा मन बहुत दुखी हो चुका है। ऐसा लग रहा है जैसे राजनीति की नैया जल्दी डूब जाएगी। आखिर कब तक मुफ्त का राशन की तस्वीर के साथ समाज सेवा करें, मेरे राजनीति का अंकुरण अभी तो आरंभ हुआ था मगर अब लग रहा है सन्यास ले लेकर किसी और धंधे में जोर आजमाइश किया जाए।
युवा नेता की बात सुनकर मुझे मन ही मन में बहुत आनंद प्राप्त हुआ, मैं जोर देकर बोला, ” नेता जी आपका दुख मैं समझ सकता हूं, बताइए मैं आपकी क्या सहयोग कर सकता हूं।
नेताजी मुस्कुरा कर बोले, “शर्मा जी कोई न कोई ऐसा तरीका बताइए कि जिससे चारों तरफ मेरे चर्चे ही चर्चे होने लगे।”
मैं बोला, ” अरे देश में मुद्दों की कहां कमी है, रोजगार, गरीबी, भ्रष्टाचार तमाम समस्याएं हैं आप उन पर आवाज उठाएं तो लोगों का ध्यान आप पर आ जाएगा।”
युवा नेता झुनझुना कर बोले, “यह बात तो बच्चा बच्चा भी जानता है, मुझे अभी नाम चाहिए।”
मैंने खाली दिमाग पर जोर दिया फिर युवा नेता से कहा, “आप सोशल मीडिया पर खुद को करोना लक्षण हो गया है ऐसा प्रचारित करवा दीजिए, और लोगों से अपील करिए कि लोग उनके लिए दुआ मांगे।”
फिर क्या खुशी से युवा नेता उछल कर अपने महंगे फॉर्च्यूनर में बैठकर घर निकल लिए। अगले दिन सोशल मीडिया पर खुद को करोना होने की खबर फैला दिया, लोगों से अपील किया कि वह सब उनके लिए दुआ भी करें और उनके पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें।।
— अभिषेक राज शर्मा