गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मैं बडी क्या हो गयी दुश्मन ज़माना हो गया
एक मेरा ही बदन सबका निशाना हो गया …!
कस रहें हैं  फब्तियाँ सब राह में होकर खडे
रोज उस रस्ते से सबका आना जाना हो गया …!!
तकते हैं यूँ घूर के जैसे मैं उनकी मल्कियत
हर कोई मेरी नज़र का ही दिवाना  हो गया …!!
कब तलक फेरूं निगाहें कब तलक छिपती रहूँ
सब्र मेरा सब किसी का आज़माना हो गया ….!!
नोचनें को हैं खडे बेशर्म    मुस्कुराहट  मेरी
अश्लील गीत और सीटियाँ उनका तराना हो गया …!!
लाख कर लूँ मिन्नतें पर कौन सुनता है मेरी
मुश्किल इन वहशियों से इज्जत बचाना हो गया ..!!
पूछती हर क़ौम  से क्या है गुनाह मेरा कहो
क्यूँ हुये बेखौफ सब कैसा ज़माना हो गया ….!!
— रीना गोयल

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर