विविध

शिक्षा में बदलाव

एकमीटर की दूरी ली जाय और विद्यालय 20×20 मीटर की ही हो और एकमंजिल भवनों की संख्या कम हो तथा सिर्फ कक्षा- 9 से कक्षा- 12 तक में छात्र/छात्राओं की संख्या 1,000 पार हो और शिक्षक भी 15 से ज्यादा नहीं हो, ऐसा होते हुए एक दिन में सभी विषयों की पढ़ाई हो अगर, तो 100 विद्यार्थी की पढ़ाई भी ऐसी व्यवस्था में असंभव होगी ! एक तो शिक्षक नियोजन इकाइयों की मन्थर गति ने विद्यालय में शिक्षकों की विषयवार पर्याप्तता पूर्ण नहीं की, दूजे तब चिह्नित छात्र/छात्रा को अगर सोमवार को बुलाते हैं, तो अगली सोमवार ही उसे बुलाए जाए ! शायद यह ‘रैंडम पद्धति’ हो, किन्तु यहाँ पर Odd या Even रोल नम्बरवाइज बुलाने का कोई तुक नहीं है, यह सेक्शनवाइज की जा सकती है ! शिक्षकों को भी एक दिनी अंतराल के बाद ही बुलाए जाए !विश्वविद्यालय में छात्रों के पहुँचने के 1 या 2 साल के बाद ही वो बालिग हो जाते हैं, इसलिए विश्वविद्यालयीय छात्रों के लिए खास चिंता की बात नहीं हैं । वैसे भी महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में काफी स्पेस व जगह होती हैं, जो कि फिजिकल डिस्टेंसिंग की फॉर्मेलिटीज पूर्ण करने के लिए पर्याप्त हो सकते हैं, किन्तु प्राइमरी से लेकर हाईस्कूल के छात्रों के लिए एतदर्थ शिष्ट नियम बनाना काफी मशक्कत लिए होगी ! हालाँकि असंभव शब्द डिक्शनरी में हो सकती है, किन्तु परिश्रमियों के लिए सबकुछ संभव है, तथापि ‘सिलेबस’ यूनिक बनाने होंगे और इसे प्रधानाध्यापक और उनकी अध्यापकीय टीम पर छोड़ देना चाहिए कि वे अपने अनुकूल पढ़ाएँ, किन्तु किसी संगीन घटना (क्रिमिनल एक्टिविटीज को छोड़कर) की स्थिति में matter को सिर्फ प्रधानाध्यापक या उनकी टीम के मत्थे ‘पेनाल्टी’ न धुसेड़ कर सरकार, प्रशासन और शिक्षाधिकारी को भी एतदर्थ सहयोग कर इसतरह की टीम को बचाने चाहिए यानी इलेक्शन की तरह टीम भावना से कार्य सम्पादित होनी चाहिए। कक्षा- 1 से कक्षा- 6 तक के छात्रों को ऑनलाइन यानी इंटरनेट शिक्षा से मुक्त रखनी चाहिए, क्योंकि स्क्रीन देखते रहने से उनकी आँखों में/पर असर डाल सकती है । कक्षा- 7 से कक्षा- 12 तक ऐसी पढ़ाई हो सकती है, किन्तु विद्यालय में smart class के रूप में कई टीवी स्क्रीन लगाने पड़ेंगे ! वहीं जो विद्यार्थी रैंडम पद्धति के कारण उस दिन विद्यालय नहीं आएंगे, तो उन्हें घर पर ही रहकर ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, किन्तु जिनके पास एंड्राइड मोबाइल सेट नहीं है, उन्हें छात्रों के गैर-जरूरी योजनामदों को बंद कर ऐसे एंड्राइड मोबाइल सेट सरकारी स्तर से उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.