अरुणोदय से अरुणास्त तक
श्रीमान नरेंद्र मोदी ने 24 अगस्त 2019 को अपना सबसे अच्छा मित्र खो दिए ! भारतरत्न अटल जी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में अक्सर कहा करते थे- जब दो-दो अरुणोदय हो रहा है, तब भारतीय जनता पार्टी पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे ! परंतु श्रीमान अरुण शौरी भारतीय जनता पार्टी के लिए अभिशप्त हो गए और 2019 में कुछ सप्ताह से ज़िंदगी-मौत से आँख-मिचौली कर रहे श्रीमान अरुण जेटली आखिरकार चल ही बसे ! जेटली जी की मृत्यु के समय मैं मित्र के पिताजी के अंतिम संस्कार में संलग्न था!
जब देश के प्रधानमंत्री के रूप में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नाम की चर्चा थी, तब इसके प्रसंगश: सर्वोपरि माहौल बनाने में श्री अरुण जेटली के नाम अग्रगण्य आते हैं । उन्होंने वकालत के रूप में काफी अर्जित किए, बावजूद गरीबों के वकील के रूप में उनकी खूब ख्याति रही । वे बहुत शालीन, सादगी पसंद व्यक्ति थे । कहा जाता है, वे अपने ड्राइवर, सेवकादि के पुत्र-पुत्रियों को वहीं पढ़ाये, जहाँ उनकी संतान पढ़ रहे थे व पढ़ रखे थे ! वे दिल्ली के एक राजा परिवार से थे, बावजूद उनकी सिम्पलीसिटी देखते ही बनता है । वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे, तो उनके पिता भी वकालत पेशा से जुड़े रहे थे।
अगर वे जीवित रहते, तो 28 दिसंबर 2019 को वे होते ! सन 1999 में वाजपेयी मंत्रिमंडल में वे स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री बनाए गए थे, इस सफ़र के साथ वे कभी पीछे नहीं मुड़े और केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री के बाद द्वितीय वरिष्ठतम मंत्री हुए । भले ही वे कभी लोकसभा सदस्य नहीं रहे । वहीं रेल बज़ट को खत्म कर सामान्य बज़ट में इसे शामिल करना इनके ही कार्यकाल में सम्भव हुआ, तो नोटबन्दी के समय वे ही वित्त मंत्री थे, वहीं ₹2000 की पत्र-मुद्रा उन्हीं की देन है, तो GST और तीन तलाक को लेकर अभीष्ट सफलता पाई ! भारत सरकार ने जेटली सर को मरणोपरांत ‘पद्मविभूषण’ से अलंकृत किया। निधन से उनकी क्षति की पूर्ति एक सदी तक संभव नहीं है।