8 व्यतिरेक क्षणिकाएँ
1.
मूकदर्शक
मनिहारी क्षेत्र के
चौक-चौराहों,
हाट-बाजारों में
एक प्रतिशत लोग भी
‘मास्क’ नहीं पहन रहे हैं !
जनप्रतिनिधिगण
और प्रशासन
मूकदर्शक भर हैं ?
2.
हृदकामना
कोरोनाकाल में
जन्मदिवस समारोह मनाने
उचित नहीं,
तथापि आयुष को
‘आयुष’ लिए
स्वस्थजीवन
और सुरक्षित जीवन के प्रसंगश:
शुभमंगलकामनाएँ,
हृदकामनाएँ !
3.
भरण-पोषण
बिहार चुनाव में न सिर्फ
मतदानकर्मियों के,
अपितु मतदाताओं का भी
‘बीमा’ हो,
क्योंकि
कुछ हो जाने पर
उनके बच्चे
कैसे भरण-पोषण करेंगे ?
4.
नीकु चाचा
भाजपा में
दाढ़ी बढ़ जाने का
प्रचलन है,
पर जो भाजपा से
चिपकते हैं,
वो अपना दाढ़ी
‘जीरोसाइज’ कर लेते हैं !
5.
खेल
ताश के खेल में
‘रानी’ होती है,
पर
शतरंज के खेल में नहीं !
क्या ‘कांग्रेस’
ताश का खेल है ?
6.
तूफान
तूफान आने से पूर्व के
शांत वातावरण
अभी सभी पार्टियों में है,
परंतु कांग्रेस
इस ‘शांतपन’ से निकल
तूफान के इंतजार में है !
7.
दूरी
कोरोना ने
इतनी दूरी बना दिये
कि दिल से भी
दूर हो गए क्या ?
स्वेच्छा से
संदेश भी नहीं ?
8.
मित्रता
हर कोई किसी से
मित्रता करने
और दिल दुखाकर
मित्रता छोड़ने के लिए
स्वतंत्र है,
क्योंकि यह प्यारतंत्र नहीं,
लोकतंत्र है !