असलियत क्या ?
आदरणीय जी,
सादर नमस्ते !
लेखन से आशय ‘असलियत’ बताना है और हमें संकीर्ण विचारों से ऊपर उठकर दकियानूसी व बाह्याडम्बरी चीजों पर हल्लाबोल करना है !
रचनाओं को जीवित रखने में और उसे पुनर्जीवित करने में आपके सहयोग अपेक्षणीय है, अन्यथा आपकी सेवाशर्त्त सुस्पष्ट नहीं है !
कवि व स्तम्भकार श्री मिथिलेश राय के जन्मदिवस पर शुभकामनाएँ,
आपकी कविता-पुस्तक ‘ओस पसीना बारिश फूल’ से–
“तुम कभी जान नहीं पाओगे
कि सड़कों के गर्भ में जो खेत विलीन हो गए हैं
उनकी फसलें खाकर तुम्हारी माँ
अपने स्तन में दूध पैदा करती थीं !”
(कविता ‘राजमार्ग’ से)
“फिर तो अब तक
जो भी दोस्त मिले,
बेवफ़ा मिले !
यकीन से बंधु !”
पुनश्च से क्या आशय है, प्रकाश डालेंगे ?
सादर भवदीय-