5 अतिशय सापेक्षित क्षणिकाएँ
1.
उपभोग
‘सेब’
कश्मीरी रहे
या हिमाचली !
गरीब आदमी हूँ,
इनका उपभोग
नहीं कर पाता हूँ !
2.
आवश्यकता
धनी लोगों से मित्रता
मत कीजिये,
वरना वे आपको तब
दगा देंगे,
जब आपको
पैसों की
सख़्त आवश्यकता होगी !
3.
मासिक वेतन
सबकोई
सभी सुविधाएं लिए
लाख-पौने लाख
मासिक वेतन उठाते हैं,
तब नियोजित शिक्षक
बगैर सुविधा के
17 से 28 हजार
वेतन पाकर
कैसी हँसी हँसे?
4.
सुरक्षा
ऐसी कथित
संभ्रांत जातियाँ हैं,
जिनके लोगों की पैदाइश
मुँह से हुई है,
जिन्हें छातीयुक्त बाँहें
सुरक्षा प्रदान करते हैं !
5.
बप्पा
गणपति को मिठाई पसंद है,
परंतु धरती पर के डॉक्टर
‘डायबिटीज़’ के कारण
लोगों को मिठाई खाने से
मना करते हैं !
क्या करूँ गणपति ?