चौदह वर्षों से परेशान
अगर नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार किसी प्रकार से दुराग्रह से दूर रहें, तभी इन नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त्त बन सकती है। बिहार सरकार को शिक्षकों, खासकर नियोजित शिक्षकों की सुननी चाहिए। अब तक स्कूल खुली नहीं, पर बिहार सरकार ऐसे शिक्षकों को हड़ताल तोड़कर स्कूल भेज रहे, भले वहाँ विद्यार्थी रहें या नहीं ! फ़िल्म ‘चॉक एंड डस्टर’ हर सरकारों को देखनी चाहिए ! चौदह वर्षों से ही बिहार में नियोजित शिक्षकों की बहाली शुरू है, किन्तु 13 वर्षो के बाद भी वे सरकारी सेवक नहीं बन पाए हैं, जबकि चुनाव सहित कई आपदाजनित और संवेदनशील कार्यों में उन्हें झोंके जा रहे हैं ।
यह कैसे हो रहा है ? चंद्रभानु यही सोचकर शिक्षा से घृणा करने लगे, आखिर क्यों ?