हास्य व्यंग्य

अंधेरा कायम !

माँ ने संझा-बत्ती दे दी है, अभी भी बिजली नदारद है ! दिनभर तार बदलने के चक्कर में न हवा मिल रही है, न प्रकाश मिल रही है ! मोटर नही चला, तो पानी नहीं मिल रही है । बारिश के कारण सड़क पर कीचड़ ही कीचड़ । स्ट्रीट-लाइट नहीं जल रही है और लोग बारिश से जमे पानी में व कीचड़ में….. अंधेरा के कारण इनमें गिर जाते छपाछप ! कोई नाला नहीं बन पाया है….. जब दुकानदार ही हो जाय ‘नेता’, तब सब माल अपन बाप के गोदाम का ! इस काम में चट्टी-बट्टी सब मिले हैं ! ऐसे में गुरु महाराज की याद आती है ! पर गुरु महाराज भी क्या करे, वे चट्टन-बट्टन भी तो उनके रसिकदार हैं। सरकारी अस्पताल हेतु सरकार की जिम्मेवारी है, पर कोई मरीज प्राइवेट अस्पताल में मरते हैं, तो अस्पताली बिल माफ हो व कारक को सजा हो ही ! सरकार कोई भी हो, वो तो सरकार है, उनके पास बाप का माल है और सभी उनके बाप का साला है, ऐसे में ए. आर. रहमान याद आ जाते हैं, यह कहने को कि ‘जय हो’ !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.