कविता

श्रद्धा

इंसा का विश्वास जब किसी इंसा पे बढ़ जाता
मन उसके लिये सम्मान, श्रद्धा संग शीश झुकाता।।
सतकर्म सिख उसके पथप्रदर्शक पे बढ़ ही जाता
यकींन मानिये वो आस श्रद्धा व्यर्थ ना सच जाता।।
मिल जाए जिसे जिंदगी मे कोई सही पथप्रदर्शक
सफलता पा वो हर मुकाम की उचाईयों को पाता
ऐसे ही जन्म से अंत तक पथप्रदर्शक जो हैं सबके
वो श्रद्धा से परिपूर्ण मां,शिक्षक,गुरूवर ही कहलाता।।
 श्रद्धा सुमन अर्पित कर प्रणाम संदेश मे भिजवाता
बुझे न कभी आस का दीप यही प्रयास कर जाता।।
नतमस्तक हो सदैव मैं चरणों मे आपके शीश झुकाता।।
— वीना आडवानी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित