कविता

गुरु नमन

ज्ञान अधूरा गुरु बिना,
गुरु अधूरा शिष्य बिना|
जीवन की जो राह दिखाये,
कहलाता गुरु, परमेश्वर से बड़ा

मार्ग में जब भी बांधा आये,
गुरु रहता शिष्य के समक्ष खड़ा|
है अद्भुत, अनोखा, पावन सा बंधन,
जिस पर संसार का कीर्तिमान टिका

जो अंधियारे को भी रोशन करता,
अपनी चेतना की दिव्य अभिव्यक्ति से
जात पात का भेद न करके,
सींचे सबको एकता की रस्सी से

सम्मान करो ऐसे गुरुओं का,
जिन्होंने इस जीवन को जीना सिखाया
आंखों में सपने पैदा करके,
आत्मविश्वास से उड़ना सिखाया

नमन है ऐसे गुरुओं का जो,
अज्ञान से ज्ञान की और ले जाते हैं
शिष्यों के सच्चे साथी बनकर,
एक उज्ज्वल देश का निर्माण कराते हैं

— सारिका ‘जागृति’

डॉ. सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (म.प्र)