द्विअर्थी समझ का फेर
आपके समझने का फेर है, बन्धु !
‘अमानत’ का गाना सुना है— सुबह को लेती हूँ, शाम को लेती हूँ….
फिर अन्य गीत– चोली के पीछे क्या है, चुनरी के नीचे क्या है?….
हे डागडर बाबू, इंजेक्शन दे द….
वास्तव में गानों के शब्दार्थ या भावार्थ पर मत जाइए ! मानसिक रूप से परिपक्व बनिये ! आप जब पहली संतान के बाद दूसरी संतान के माता-पिता बने होंगे या बड़े भाई के बाद सबसे छोटे भाई आपको मिले होंगे, तो पहली संतान या फिर अग्रज तो बहुत-कुछ जान गए होंगे ! अब जब नवमी कक्षा से ही शरीर क्रिया विज्ञान शुरू हो गयी है, तो फिर आप अपने को कहाँ पाते हैं ?
विदित है, कुछ पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका के बीच रिश्ता स्थाई नहीं रह पाते, क्यों ? यह कितने दिनों तक निभ सकती है ? आखिर यह रिश्ता क्यों नहीं निभ सकती ! स्मार्टभेद व रंगभेद व नस्लभेद के कारण या….
तो क्या भारत में अभी भी रंगभेद व नस्लभेद है ?