मुद्दे उठाए जाते हैं।
मेरे देश में,
मुद्दे उठाए जाते हैं।
जिंदगी के असल सच से,
लोगों के ध्यान हटाए जाते हैं।
घटना को ,
घटना होने के बाद ,
देकर दूसरा ही रुख।
असल घटनाओं पर,
पर्दे गिराए जाते हैं ।
मेरे देश में मुद्दे उठाए जाते हैं।
जिंदगी किन,
हालातों में बसर करती है।
पंचवर्षीय सरकारों में ,
अमीर- गरीब के मापदंडों में,
मध्यवर्ग को ,
बस वायदे ही थमाए जाते हैं ।
मेरे देश में ,
मुद्दे उठाए जाते हैं।
जागे…..असल पहचानिए।
जो कानों को, सुनाया जाता है।
आंखों को दिखाया जाता है ।
दो रोटी कमाने के लिए,
हम और आप
कितनी लड़ाई लड़ते हैं ।
हमें मुद्दों में,
कितना बहलाया जा रहा है ।
— प्रीति शर्मा असीम