सरस्वती वंदना
सरस्वती भगवती शारदा
शुक्लाम्बरी शुभकारिणी॥
जय जय माँ भयहारिणी॥
सृष्टि का लालित्य तुम्हीं से
सुर लय प्राण तुम्हीं हो
विद्या मेधा कला की देवी
गुञ्जन गान तुम्हीं हो
निर्झर के कलकल धारों का
मंगल नाद तुम्हीं हो
धरती से मेघों की बुँदो
का संवाद तुम्हीं हो
जयति जयति जगतारिणी॥
जय जय माँ भयहारिणी॥
गीता के श्लोकों में तुम, तुम
रामचरितमानस में
तुम मीरा की पदावलि में,
मधुशाला के रस में
गीताञ्जली के गीतों में तुम
कामायनी के स्वर में
तुम्ही रहीम के दोहों में
औ’ कबीरा के आखर में
तुम कालीदास तुम पाणिनी॥
जय जय माँ भयहारिणी॥
तुम बिस्मिल्लाह की शहनाई
तुम्हीं कण्ठ लता का
भीमसेन की तुम ही साधना
शिवानुजा दिव्यंका
तुम सरोद अमजद की , माँ
तुम हरिप्रसाद की बंशी
सुब्बालक्ष्मी के गायन में
तुम्ही बसी पावन सी
जय देवी मयुरविहारिणी॥
जय जय मां भयहारिणी॥