ग़ज़ल
मजबूरियो के बारे सोचा करो कभी
देखी राह हमने वैसी देखा करो कभी
करते है तुम तो सबका बुरा वहाँ
मेरे यार किसी तो अच्छा करो कभी
दावा है दुश्मनो को भी अपना बना लोगे तुम
बस मीठी जुबा तुम उनसे बोला करो कभी
सोच लो पहेले कारन क्या होगा इसका
बाद मे अपनी जुबा को खोला करो कभी
हर बात को समझने की मुझमे नही ताकत अब
बाद खुद बा खुद आप भी समझा करो कभी
— आभिषेक जैन