गजल
करते क्यो हो ऐसी बात,॥
जो चुभती है ऊँची बात,॥
कडवी दुनिया मे रहकर तुम॥
करते कैसे हो मीठी बात,॥
अक्सर दिल को चुभती है,॥
अक्सर बोली सच्ची बात,॥
फिर न कभी पचताए कभी हम,॥
करने से पहेले जो सोची बात,॥
इस से दूरी अच्छी है,॥
करना न तुम झूठी बात॥
करते रहने तुम अक्सर,॥
प्यारी प्यारी मीठी बात,॥
आभिषेक जैन