कविता

संकल्प भरा विश्वास

चलो एक बार फिर जिंदगी
वक्त आज़माते हैं।
संकल्प पर टिकी हमारी आशाएं
बता देते हैं।
हिम्मत से चलना सीखा है हमने
आओ कंटक को फूल बना देते हैं।
हों किनारे कितने भी दूर
होसले की उड़ान से मिला देते हैं।
दुख सुमानी बन कहर बरपाएं
सुख बहारें बन कर आएं
खट्टी मीठी यादें
जिंदगी जीना सीखा देती हैं
मौन वृक्ष की मानिंद खड़ा जो
तुफान आते चले जाते हैं।
अडींग रहे अपने पथ पर
वो विचलित नहीं हो पाते हैं।
जज़्बा हो दिल में
रास्ते स्वयं बन जाते हैं।
उत्साह,उमंग,जोश हो दिल में
सितारे जमीं पर उतर आते हैं।
संकल्प भरे विश्वास से
दिन बदल जाते हैं
— शिव सन्याल 

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995