चलो एक बार फिर जिंदगी
वक्त आज़माते हैं।
संकल्प पर टिकी हमारी आशाएं
बता देते हैं।
हिम्मत से चलना सीखा है हमने
आओ कंटक को फूल बना देते हैं।
हों किनारे कितने भी दूर
होसले की उड़ान से मिला देते हैं।
दुख सुमानी बन कहर बरपाएं
सुख बहारें बन कर आएं
खट्टी मीठी यादें
जिंदगी जीना सीखा देती हैं
मौन वृक्ष की मानिंद खड़ा जो
तुफान आते चले जाते हैं।
अडींग रहे अपने पथ पर
वो विचलित नहीं हो पाते हैं।
जज़्बा हो दिल में
रास्ते स्वयं बन जाते हैं।
उत्साह,उमंग,जोश हो दिल में
सितारे जमीं पर उतर आते हैं।
संकल्प भरे विश्वास से
दिन बदल जाते हैं
— शिव सन्याल