बाल कविता

चार बाल गीत- 5

1.भारत मां

एक बना दो हे भारत मां,भारत मां का लाडला - Photos | Facebook
हम बच्चों को नेक बना दो,
जीवन में सद्गुण का धन दे,
प्रेम से मालामाल बना दो.
सपनीले-महकीले जग में,
काश कि भ्रष्टाचार न होता!
आतंकवाद का नाम न होता,
यह जग कितना सुंदर होता!

 

2.चंदा मामा

चंदा मामा एक संदेशा,Videos from doctors and experts to help you raise healthier kids
सारे जग को देते हैं
प्रेम से रहने वाले जग से,
प्रेम का तोहफा लेते हैं,
ऊंचे हों आदर्श अगर तो,
ऊंची होगी अपनी उड़ान,
फिर न कोई भी बाधा आए,
रोक न पाए मन को थकान.

 

3.आगे बढ़ते जाना है

जीवन की बहती धारा में,ना रुकना तू ना थक ना तू आगे बढ़ते जाना... - Rashtriya Swayam sevak Sangh :  RSS Godhra | Facebook
आगे बढ़ते जाना है,
नदियां-सागर आंधी-पानी,
में भी चलते जाना है .
हिम्मत अगर नहीं हारेंगे,
जीवन होगा स्वर्ग समान,
वरना जीवन की राहों में,
बिछ जाते कांटे अनजान.

 

4.कहां रहेगी हरियाली?Tree Trasplantation In Delhi Technical University - दिल्ली की बनी रहेगी  हरियाली, नहीं कटेंगे पेड़, डीटीयू ने शुरू किया ट्रांसप्लांट प्रोजेक्ट -  Amar Ujala Hindi News Live

पेड़ काटना बुरी बात है,
मत रो बहिना, चुप हो जाओ,
हम फिर इसको हरा करेंगे,
झटपट जाओ, झारी लाओ.
यूं ही काटे पेड़ अगर तो,
कहां रहेगी हरियाली?
सूखे और बाढ़ों के दानव,
खा जाएंगे खुशहाली.

सभी पाठकों को खुला आमंत्रण-
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “चार बाल गीत- 5

  • डॉ मीनाक्षी शर्मा

    बहुत सुंदर सहज सरल … बाल गीत

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी मीनाक्षी जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको बहुत सुंदर सहज सरल लगे. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    एक बाल गीत——-
    मिलकर ऐसी करें पढ़ाई

    मिलकर ऐसी करें पढ़ाई,
    सबका मन ललचाता जाए,
    फिर कुछ करेंगे जग की खातिर,
    सबका घर रोशन हो जाए.
    दे कोई ऐसा ज्ञान हमें भी,
    मन की गांठें खुलती जाएँ,
    जिज्ञासा हो शांत सभी की,
    भीतर का तम मिटता जाए.

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