चार बाल गीत- 5
1.भारत मां
एक बना दो हे भारत मां,
हम बच्चों को नेक बना दो,
जीवन में सद्गुण का धन दे,
प्रेम से मालामाल बना दो.
सपनीले-महकीले जग में,
काश कि भ्रष्टाचार न होता!
आतंकवाद का नाम न होता,
यह जग कितना सुंदर होता!
2.चंदा मामा
चंदा मामा एक संदेशा,
सारे जग को देते हैं
प्रेम से रहने वाले जग से,
प्रेम का तोहफा लेते हैं,
ऊंचे हों आदर्श अगर तो,
ऊंची होगी अपनी उड़ान,
फिर न कोई भी बाधा आए,
रोक न पाए मन को थकान.
3.आगे बढ़ते जाना है
जीवन की बहती धारा में,
आगे बढ़ते जाना है,
नदियां-सागर आंधी-पानी,
में भी चलते जाना है .
हिम्मत अगर नहीं हारेंगे,
जीवन होगा स्वर्ग समान,
वरना जीवन की राहों में,
बिछ जाते कांटे अनजान.
4.कहां रहेगी हरियाली?
पेड़ काटना बुरी बात है,
मत रो बहिना, चुप हो जाओ,
हम फिर इसको हरा करेंगे,
झटपट जाओ, झारी लाओ.
यूं ही काटे पेड़ अगर तो,
कहां रहेगी हरियाली?
सूखे और बाढ़ों के दानव,
खा जाएंगे खुशहाली.
सभी पाठकों को खुला आमंत्रण-
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बहुत सुंदर सहज सरल … बाल गीत
प्रिय सखी मीनाक्षी जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको बहुत सुंदर सहज सरल लगे. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
एक बाल गीत——-
मिलकर ऐसी करें पढ़ाई
मिलकर ऐसी करें पढ़ाई,
सबका मन ललचाता जाए,
फिर कुछ करेंगे जग की खातिर,
सबका घर रोशन हो जाए.
दे कोई ऐसा ज्ञान हमें भी,
मन की गांठें खुलती जाएँ,
जिज्ञासा हो शांत सभी की,
भीतर का तम मिटता जाए.