कविता

कन्यादान

बिटिया जब बड़ी होती है,
तब हर मात पिता कन्यादान करते हैं,
कितनी पीड़ा होती है उनको,
जिसको पाल पोस बड़ा किया,
उसे दूसरे के हाथ सौंपता है,
कन्यादान का कर्ज,
कोई नहीं उतार सकता,
बेटी को खुशियां देकर,
मन कितना हल्का हो जाता है,
अपने घर की खुशियां देकर,
दूसरों के घर में खुशियां बिखरेती है,
कितना विशाल हृदय होगा उनका,
जो इस पीड़ा को दिखाना पाते हैं,
कन्यादान जिसने नहीं किया,
वो इस दर्द को क्या जाने,
सौभाग्यशाली होते हैं वह मात-पिता,
जो कन्यादान का सुख पाते हैं।।
— गरिमा लखनऊ

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384