तुम भी यूँही किसी की कभी चाह कर लेना
आसान कोई देख के हर राह कर लेना।
गर बेबसी है खुद में तो यूँ देख ले ज़रा
ऐसा न हो कि जिंदगी तबाह कर लेना।
जलना बुरा है गैर की ख़ुशियाँ यूँ देखकर
मत दिल में इतना खार रख आह कर लेना।
जब वक्त पे थी किस्मत तो भूल चुके तुम
अब वक्त की बिसात है मत चाह कर लेना।
उजडी़ हैं कितनी बस्तियाँ, कालोनियाँ , गली
अपनी ही फितरतों से क्यूँ तबाह कर लेना ।
आकर बवा ने हर किसी के खाब तोड़ दी
मुश्किल में खुदा को भी हमराह कर लेना।
— सीमा शर्मा सरोज