अंत्योदय के अवधारक
विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अनगिनत गुणों के स्वामी भारतीय राजनीतिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य ने भारतवर्ष में समतामूलक राजनीतिक विचारधारा का प्रचार एवं प्रोत्साहन करते हुए सिर्फ 52 साल की उम्र में अपने प्राण राष्ट्र को समर्पित कर दिए। आकषर्क व्यक्तित्व के स्वामी दीनदयालजी उच्च-कोटि के दार्शनिक थे किसी प्रकार का भौतिक माया-मोह उन्हें छू तक नहीं सका।
मैट्रिक और इण्टरमीडिएट-दोनों ही परीक्षाओं में गोल्ड मेडल । कानपुर विश्वविद्यालय से बी.ए.भी किया । सिविल सेवा परीक्षा में भी उतीर्ण हुए, लेकिन उसे त्याग दिया।
राष्ट्रधर्म , पाञ्चजन्य और स्वदेश जैसी पत्र-पत्रिकाएँ प्रारम्भ की।
हाल ही मे केन्द्र सरकार ने मुगलसराय जंक्शन का नाम दीन दयान उपाध्याय स्टेशन कर दिया गया।
इसी के साथ कान्दला बन्दरगाह के नाम को दीन दयाल उपाध्याय बन्दरगाह कर दिया गया।
‘अंत्योदय’ की अवधारणा के मूल में पंडित जी ही थे ।
उनके जन्मदिवस में उन्हें सादर स्मरण और श्रद्धा-सुमन!