डूबी सच नैया
सच नैया खेते रहे ,झूठ नदी पर यार,
सच चप्पू करता रहा ,झूठ लहर से प्यार ,
झूठ लहर से प्यार ,पवन उनको दुलरातीं ,
जीवन के हर भेद ,पल पल उन्हें सिखातीं ,
इक दिन टूटा प्यार ,दुखी हो गए खिवैया ,
किया भंवर ने वार ,और डूबी सच नैया।
— महेंद्र कुमार वर्मा