तीन बाल मुक्तक
ये दुनिया खुशियों का मेला ,
इसमें भरना नहीं झमेला ,
उससे मिलना ख़ुशी ख़ुशी से ,
जो मानव होवे अलबेला।
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जोर लगा के आगे बढ़ना ,
सदा जीत की सीढ़ी चढ़ना,
पथ में कांटे बहुत मिलेंगे ,
पर तुम फूल महकते पढ़ना।
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सच कहना औ सच ही सुनना ,
अच्छी बातें मन में गुनना ,
सच मिथ्या में जब चुनाव हो ,
तुम हरदम सच को ही चुनना।
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— महेंद्र कुमार वर्मा