उनके बारे में
1857 में
धर्मभ्रष्ट होनेवाली कारतूस को
मुँह से काटने के विरोध में
और ब्रिटिश भारत की सेना में
मूल भारतीय सैनिकों को
मान-सम्मान नहीं देने के कारण
विद्रोह करनेवाले
पहले शहीद सैनिक
बलिया निवासी “मंगल पांडे”
के जन्मदिवस 19 जुलाई
पर सादर नमन
और श्रद्धांजलि !
सादरांजलि !
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सबकुछ हो जा चुका है !
13-14 वर्षों से भेज रहा हूँ,
आवेदन !
बावजूद सरकार
कोई एक्शन नहीं ले रहे !
यह रिएक्शन है,
या मातम का फैंशन !
चलिए मेरे पास पेशेंस है !
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प्यार है फ़ख़त,
पानी के बुलबुले !
देखने में सुंदर,
छुओ तो खतम !
जहाँ से खतम,
वहाँ से वासना शुरू,
प्यार तो वासना ही है,
नाम बदलकर
स्वाहा कुरु-कुरु !
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प्यार, जवानी
और कोविड 19
एक जैसे हैं…
ये तीनों जब भी बढ़ते हैं,
‘लॉकडाउन’ करके ही मानते हैं !
अब तो ऐसे ही जिंदगी
लॉक्ड हो गयी है,
शॉक्ड हो गयी है !
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सुना है तुम इधर,
तन्हा-तन्हा रहती हो,
पर,
जब मिलता हूँ तुमसे,
तब क्यों,
‘इंगेज़’ हो कहीं
का बहाना बनाती हो ?
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अब जब-जब
होती बारिश,
गाँवों में भी तबाही मचाती !
और शहर में वो आकर तो
गंदगी ही फैलाती !
सुन सुन
मेरे मानसून !