चलो सुंदर जहां बनाते हैं।
न धर्म न जाति देखें आओ ऐसा हिन्दोस्तान बनाते हैं।
कुछ हम बदलें कुछ तुम बदलो चलो सुंदर जहान बनाते हैं।
गैरों सी बात क्यों करें हम भला एक ही वतन के;
हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई से बेहतर है भारत की शान बनाते हैं।
वक्त बदला बहुत कुछ बदला सोच भी बदले तो बात बने;
नफरतों को भुलाकर आओ फिर वतन को महान बनाते हैं।
दुश्मन कैसे करता मजाल जो देखे घूर के इस ओर;
एकता की ताक़त दिखा उसको ही अब वीरान बनाते हैं।
बहुत हो गया झगड़ा अब आपस में झगड़ना छोड़ दो;
हिन्दी हैं हम वतन है विश्व में अमिट इसकी पहचान बनाते हैं।
वो लड़ाते रहे कभी धर्म कभी जाति के नाम पर हमको ;
उनके इरादों को अपनी अच्छाइयों से हम सुनसान बनाते हैं।
इक दौर था इतिहास का गर याद हो हमें अपने वतन का;
सोने की चिड़िया बना विश्व में पहले सी पहचान बनाते हैं।
चलो मिलकर इक अच्छा सा जहान बनाते हैं।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !