गाहे-बगाहे वचन
पहले तो जिस प्रान्त में वह उस समय था, वहां हिंदुस्तानी भाषा चलती थी, दूसरी उर्दू नहीं तथा वाजपेयी जी के अंग्रेजी हस्ताक्षर वो नहीं है, मिलान कर लीजिए । तीसरी, यह कोई मुस्लिम बंधु की मानस उपज है, चौथी, उस उर्दू का अनुवाद यहां पेस्ट कीजिये!
भाषाई चक्कर ही फरेबी है ! आपको किसने कह दिया, ‘उर्दू’ प्राचीन भाषा है ? अपना अल्पज्ञान बढ़ाइये । …. और हाँ भारत में भाषाएँ 8वीं अनुसूची में है, न कि 7वीं ! जब वर्त्तमान देश ही हिन्दू-मुसलमान के आधार पर बना है, तो यह गाहे-बगाहे चलते रहेंगे ! हाँ, अजय से अजीमुद्दीन आप बन सकते हैं!
‘देवनागरी’! हाँ, जिसे महर्षि मेंहीं ने भारती भाषा भी कहा है, तब हिंदी उत्तरोत्तर वैकासिक-यात्रा में थी! भाषाई चक्कर ही फरेबी है ! आपको किसने कह दिया, ‘उर्दू’ प्राचीन भाषा है ? अपना अल्पज्ञान बढ़ाइये । …. और हाँ भारत में भाषाएँ 8वीं अनुसूची में है, न कि 7वीं ! जब वर्त्तमान देश ही हिन्दू-मुसलमान के आधार पर बना है, तो यह गाहे-बगाहे चलते रहेंगे ! हाँ, अजय से अजीमुद्दीन आप बन सकते हैं!
14 अगस्त 1947 का अध्ययन कीजिए ! हाँ, यह पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है, धर्मनिरपेक्ष नहीं! अपनी पुस्तक ‘थाट्स ऑन पाकिस्तान’ में डॉ. बी. आर. अंबेडकर लिखते हैं- “हजारों साल का दुश्मन है, जो तबतक लड़ता रहेगा, जबतक हिंदू नहीं समाप्त हो जाता, इसलिए भारत से एक-एक मुसलमानों को निकाल कर पाकिस्तान भेज देना चाहिए, क्योंकि दुश्मनों का साथ रहना उचित नहीं है ।”
ज्ञात हो, डॉ. अम्बेडकर इस बात के कड़े समर्थक थे कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान का बंटवारा अगर मज़हबी आधार पर हो रहा है, तो कोई भी मुसलमान भारत में ना रहे । नहीं तो समस्याएं बरकार रहेंगी !