कविता

मौसम का मिजाज

मौसम का मिज़ाज बदल रहा
सर्द हवाओं का आगाज़ हो रहा
बक्सों में बंद पड़े
गरम कपड़ों का
बाहर निकलने का मौसम आ गया
निकलो सुबह जो टहलने
ख्याल अपना रखने का समय आ गया
गुलों के खिलने का
वन उपवन के महकने का मौसम  आ गया
बदलते मौसम में
पूरे तन को ढकने
मलेरिया,डेंगू , चिकनगुनिया से बचने का मौसम आ गया
अच्छे से खाओ पियों
तन को संवारने का मौसम आ गया
खुशनुमा जो मौसम हो गया
मन को संवारने का मौसम आ गया
चलो गुलफाम संग कहीं
घूमने का मौसम आ गया

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020