ख़ाली कभी भरा हुआ आधा दिखाई दे
चाहे जो जैसा देखना वैसा दिखाई दे
जैसे सराब दूर से दर्या दिखाई दे
हर चेहरे में मुझे तेरा चेहरा दिखाई दे
मुट्ठी में सब समेटने की आरज़ू लिए
पैसे के पीछे दौड़ती दुनिया दिखाई दे
औलाद चाहे जैसी हो माँ बाप को सदा
अच्छा सभी से अपना ही बच्चा दिखाई दे
लड़ने लगे हैं लोग धरम ही के नाम पर
इंसानियत की क़ौम पे ख़तरा दिखाई दे
— अजय अज्ञात