भाषा-साहित्य

धरती कब घूमती है ?

शायर श्री इरशाद कामिल कहते हैं-
“कउ बात नइखे !
मित्र को सुखद दाम्पत्य-जीवन की शुभमंगलकामनाएँ!
मुझे वो ढूढ़ता है रोज मुझमें…..
खुद को रोज कमीज़ की तरह पहनता हूँ !”

तो अपुन विचार हूं-
“अगर लंबी ज़िन्दगी जीनी हो
तो खूब भूख लगे, तब खाइये
और अधिक उम्र तक अविवाहित रहने की चेष्टा कीजिए !”

और–

“धरती कब कहती है;
मैं सिर्फ गुलाब उगाऊं !
वो नागफनी भी उगाती;
औषधि औ’ गजराघास भी !”

फिर–

“कनखियों से तीर चला कर तूने,
ये कैसी प्रेम उड़ेली है, प्यारी ?
इन तीरों ने कर दिल को छेद,
चुकी चली गयी जीवन म्हारी !”

और फिर-

“हरबार शब्दों के समंदर में कूदती हो
जानेमन ! तुम कमाल करती हो !
कभी ठहर तो जा, अपनी दुनिया में
कि एक-दो पल आराम कर लें !”

फिर श्री इरशाद कामिल कहते हैं–

“ना सोच खोलता हूँ,
ना बात खोलता हूँ;
वो हाल पूछता है,
और मैं झूठ बोलता हूँ !”

अंत में अपुन विचार–

“कनखियों से तीर चला कर तूने,
क्यों पकड़ी हो ‘धनुष’ ए गोरी ?
इन तीरों ने दिल को कर छेद…
ये  कैसी प्रेम, घोली  है  गोरी ?
हम हैं प्रेम में घायल जन्मों से!
अब तू वार या सँवार मुझे, गोरी!”

अब हँस दीजिए–

लिपिक को बड़ा बाबू क्यों कहा जाता?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.