तस्वीर साफ-साफ
आज यह तस्वीर मेरे मन को भा गया….
तस्वीर में श्री मृगेंद्र कुमार चौधरी हैं, जो इंजीनियर रह चुके हैं और वर्त्तमान में शिक्षक हैं, वो भी नियोजित ! अपने गृह प्रखंड में शिक्षादान की लालसा उन्हें ‘धन’ से मोहभंग करा दिया ! वे कटिहार के मनिहारी नगर से हैं तथा सूचनाधिकार कार्यकर्त्ता के रूप में एक धमक बन चुके हैं ! वे मनिहारी की विपद समस्याओं पर गाहे-बगाहे कलम चलाते रहे हैं । मेरे अनुजसम हैं और कई गहनतम समस्याओं को लेकर मुझसे चर्चा कर चुके हैं ! वे भ्रष्टाचार को देख आकुल, व्याकुल और इसके विरुद्ध मुखर हो उठते हैं । संलग्न तस्वीर से वे कई गुने वास्तव में ‘स्मार्ट’ हैं ! पहली मुलाकात में ही भा जाएंगे….. भाई, यह तस्वीर वाकई में मेरे मन को भाया है ! आपको भविष्यार्थ शुभकामनाएं….
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माननीय श्री विजय रूपानी जी!
देखिए सर ! महाराष्ट्र में यह सब होता था ! गाँधी जी के गुजरात को क्यों बदनाम किये जा रहे हैं ! संभालिये गुजराती भाइयों को !
हम बिहारी विनम्र भी हैं, तो सब पर भारी भी! हम बिहारियों के साथ मारपीट कर ‘सत्य और अहिंसा’ के पुजारी गाँधी जी के नाम को क्यों खराब कर रहे हैं ! बिहार गाँधी जी कर्मभूमि रही है।
हम बिहारी-गुजराती भाई-भाई हैं ! फिर भी….
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रामायण में दो मुख्य पात्र है!
राम और भरत सौतेले भाई है, परंतु दोनों में अगाध प्रेम है । भरत भावुक है और राम संवेदनशील । राज्य की कुशलता के लिए राजा को भावुक नहीं, संवेदनशील होना चाहिए ।
भावुक व्यक्ति स्वानुभूति को परानुभूति बनाने में विश्वास करता है और वहीं संवेदनशील व्यक्ति परानुभूति को भी स्वानुभूति में बदल डालता है ।