मुक्तक/दोहा इश्क़ जलजला है… मनोज शाह 'मानस' 14/10/2020 सदियों से चला ये सिलसिला है कहते हैं इश्क इक जलजला है खूब जला और खूब जलाया भी कौन क्या कब साथ लेकर चला है । — मनोज शाह ‘मानस’