चिन्ता
क्या मैंने जैसे अपने बच्चो को पाला है. क्या वो भी मुझे पालेंगे जब मैं बूढी हो जाऊँगी। पकडेगे वो मेरा भी हाथ जैसे मैंने बचपन मे अँगुली पकडकर चलना सिखलाया है। वो माँ चिन्ता में ये सोच ही रही थी कि पीछे से आवाज आई- रामू की माँ क्यों चिन्ता करती हो सबकुछ अच्छा होगा ऊपर वाले पर भरोसा रखो।
— अभिषेक जैन