तू सदा तुझ सा रहे
परिवर्तन होना तो तय है
परावर्तन कैसे होगा
तू सदा तुझ सा ही रहेगा
भला और कैसे होगा
आप अपना सर्वोत्तम होना
सार्थक जीत बने तेरी
छाप भी ना वो दोहराए
तू दूजा कैसे होगा
इसके जैसा उसके जैसा
मानव तू कैसे होगा
ठोस होना तेरा परिमाण
आसव तू कैसे होगा
हर किसी का अपना उदगम
पथ सम कैसे होगा
सबका अपना अलग विस्तार है
एक ही संगम कैसे होगा
हर फूल बगिया में विलग है
एक रंग कैसे होगा
तेरी खुद एक पहचान है
तू पतंग कैसे होगा
सबकी अपनी अलग राह है
अपनी मंजिल भले एक
सबकी अपनी होती जड़ तो
एक ढ़ंग कैसे होगा
आप अपना सर्वोत्तम हो जा
कोई और तू कैसे होगा
— सुनीता द्विवेदी