पानी बीच मीन पियासी
एक वकील कहते हैं–
नियोजित शिक्षकों को
रुपये के लिए नहीं,
सेवाभावश:
कार्य करने चाहिए;
मगर वकीलों को
महँगे फीस तो चाहिए ही !
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कविता और लालमोहन
एकसाथ….
‘विश्वफूल’ के हाथों
दोनों है तैयार….
रविवारीय रसपान।
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चिराग तले अँधेरा,
गंगा किनारे अपवित्रता,
जल में मीन प्यासी,
पंखहीन पक्षी,
स्वस्थ को साबुदाना,
आयत के लिए 19/6,
चिड़ियाखाना और मानव,
मेरे पागलपन लिए
सबकुछ ख़त्म, किन्तु
पिक्चर अभी बाकी है, दोस्त !
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आदरणीय भैया जी,
शुभ अपराह्न बेला !
आपने इन शब्द
और वाक्य-विन्यासों में
जो भी लाघव समीक्षा प्रस्तुत की है,
वो गुरुभार लिए है !
पढ़कर लगा,
मुझे अपनी मजदूरी मिल गयी !
आप इसीतरह
‘आशीष’ बनाये रखेंगे !
सादर।