पागल दिल मेरा
शाम-सवेरे, आगे-पीछे तेरे घूमता रहता
ये पागल दिल मेरा, हाँ पागल दिल मेरा
तेरे आने में आना और तेरे जाने में जाना
और न जाना कुछ मैंने, बस इतना जाना
जो तू ख़ुश तो मैं ख़ुश और तू गुम मैं गुम
हर दम तेरे ही ख़्वाबों को बुनता रहता
ये पागल दिल मेरा, हाँ पागल दिल मेरा
मेरी सीपी का मोती, मेरे नैनो की ज्योति
तेरे बिन कैसी होती, होती भी या न होती
जो तू है तो मैं हूँ जो तू न हो मैं भी कुछ न
“गीत” तेरे ही दिल के हर दम सुनता रहता
ये पागल दिल मेरा, हाँ पागल दिल मेरा
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”