ग्रीन पटाखा और ऐतिहासिक विरासत !
यह ‘ग्रीन पटाखा’ क्या है, कोई बताएंगे! माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दीपावली के सुअवसर पर पटाखे फोड़ने का समय रात 8 बजे से 10 बजे तक रखने के अपने पहले के आदेश में बदलाव किया है। मा. कोर्ट ने कहा है, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी के लिए समय बदला जाएगा, लेकिन इसकी अवधि दो घंटे से अधिक नहीं होगी। मा. कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि ‘ग्रीन पटाखों’ के इस्तेमाल की व्यवस्था दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए दी गई थी, न कि पूरे देश के लिये! तीरों से जब आतिशबाजी होती थी, तो फिर ब्रांड तो मेरे पोस्ट में उल्लिखित नहीं है!
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‘पटेल’ को तो नहीं देखा, किन्तु उनकी प्रतिमा ने सम्पूर्ण विश्व में हम भारतीयों को ऊँचा कद प्रदान किया । क्या हम इसपर गर्व नहीं करें ! हम नकारात्मक मत ही सोचें! हम समुन्नत क्यों नहीं सोचते हैं ? ‘ताज़महल’ जब बना था! सुना है, कारीगरों के हाथ काट दिए गए थे और 20,000 से अधिक मजदूरों को बेगार खटाया गया था, तो ताज़महल को ध्वस्त कर दूँ क्या? आज ‘ताज़महल’ पर्यटन से राजस्व दे रहा है, कल यह राजस्व विशाल मूरत भी देगा, धैर्य रखिये!