राजनीति और साहित्य की लौह महिला
सत्ता हस्तांतरण उन्हें पिता से नहीं मिली, किन्तु जब मिली तब पाकिस्तान को इस कदर सबक सिखाई कि 1971 में अपना पूर्वी पड़ोसी भी बदल डाली और यहीं से ‘लौह महिला’ बनी इंदिरा में अहंकार समाहित हो चली । जो इंदु माता-पिता के बचपन-प्रेम से मरहूम रही, वो 1975 में खलनायिका बन गयी । काला ‘आपात’ अध्याय ….. विरोधियों को जेल, अखबारों में जनहित बंद अन्यथा अखबार बन्द, कुँवारे मर्दों के भी नलबंदी इत्यादि….. ने ‘जय बांग्ला’ को तवज्जो नहीं दिया । हालाँकि वो सत्ता में पुनः आयी, ‘ऑपेरशन ब्लू स्टार’ लेकर ! ….. अपनी सत्ता में ही ‘भारत रत्न’ सम्मान गृहीत कर जाना…. ‘Indira is India & India is Indira’ में अहंकार की ‘बू’ साफ परिलक्षित हुई ! वर्ष 2017 उनकी जन्म – शताब्दी वर्ष रही। पाकिस्तान पर उनकी कार्रवाई सचमुच में अविस्मरणीय थी, एतदर्थ इस भारतरत्न को उनकी पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि ! शत – शत नमन !
31 अक्टूबर को पंजाबी और हिंदी (!) भाषा की महान साहित्यकार और साहित्य अकादेमी समेत भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेत्री ‘अमृता प्रीतम’ की पुण्यतिथि भी है । अमृता जी बेहद खूबसूरत भी थी, रचनाओं के साथ-साथ इनके सम्प्रति कई विवाद प्रेम – कारण लिए भी रहे हैं ! अपने से दशक छोटे मशहूर चित्रकार ‘इमरोज़’ के साथ इनकी प्रेम इनके लिए महज प्रेम नहीं, उपासना भी थी ! लेखक व पत्रकार खुशवंत सिंह तो साहित्यकार श्रीमती कृष्णा सोबती की किताब ‘ज़िंदगीनामा’ से नाम मिलने के विवाद – प्रसंगश: न्यायालय में ‘वाद’ जाने पर अमृता जी की ‘अन्तेवासे गवाह’ बने थे । ‘रसीदी टिकट’ के रचनाकारा को उनकी निर्वाणतिथि पर सादर नमन ! सादर श्रद्धांजलि !