गुरुदेव नानक महाराज
कार्तिक पूर्णिमा की महत्ता नानकदेव के जन्म लेने के कारण भी है । ननकाना अथवा तलवंडी के नानक का जन्म अखण्ड भारतवर्ष में, किन्तु आज के पाकिस्तान में हिन्दू बनिया के यहाँ हुआ था, किन्तु कृपण बनिया घर में ऐसे बालक का जन्म, जो आगत साधुओं व अतिथियों को खाली हाथ लौटाते नहीं थे ।
ऐसी फ़क़ीरता के वशीभूत हो नानक भिक्षाटन को निकल गए और एक जगह सो गए, किन्तु मुस्लिम लोगों ने उनसे कहा कि तुम उधर पैर करके क्यों सो रहा है, उधर मेरे अल्लाह है । तब नानक ने कहा– जिधर तुम्हारे अल्लाह नहीं होंगे, उधर ही मेरे पैर कर दो । ऐसा कहा जाता है, जिधर उनके पैरों को किया गया, उधर ही पश्चिम रहा । वैसे हिन्दू धर्म के प्रति भी उनकी ऐसी ही कथा श्रुत है । मुस्लिमों के प्रति भी वर्णित कथा श्रुत ही थी । नानक ने अलग पंथ चलाया, जिनका नाम ‘सिख’ रखा । आज सिख धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण संसार में है । सम्पूर्ण उत्तर भारत, पाकिस्तान आदि में सिख धर्मावलम्बी हैं, पंजाब तो गढ़ है ।
बिहार के कटिहार ज़िले के बरारी क्षेत्र के उचला भण्डारतल में सिखों की बस्ती है । सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक से लेकर 10वें गुरु तक हुए । गुरु गोविंद सिंह के बाद गुरु परंपरा को समाप्त कर इस पंथ के धर्मग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को गुरुओं के गुरु मान-सम्मान आस्था और श्रद्धा उनकी साथ जुड़ चुकी है । गुरु नानक और वीरों के वीर, सत्य ‘सिख’ धर्म को नमन !