लोग कहते हैं
लोग कहते हैं
और यहाँ-वहाँ करते हैं
मिलकर तय करते हैं
फिर भी सन्नाटा है
नहीं कोई आहट है,
परंतु हम आहत हैं
प्यास बुझ नहीं रही,
आश कायम है,
कुछ नहीं मुलायम है !
चाहकर भी प्रश्नगत होकर
यह कोई अट्टहास नहीं,
न ही हास-परिहास है !
इतिहास यहाँ कायम है,
प्रीत के साथ जीवन-मरण
यही तो सम्पूर्ण जिज्ञासा भावश:
अखण्ड मोचन के विन्यस्त:
कौन है, जो सहायक हैं ?
मौलिकता के प्रसंगश: !