कविता

जुनून

ठान ले शख्स तो क्या नहीं कर सकता
बस एक जुनून चाहिये
पागलपन की हद तक वाला जुनून
जुनून जो दसरथ मांझी में था
सीना चीर पहाड़ का
रास्ता बना दिया
साल नही दो साल नही
जूझ बाइस साल
नतमस्तक कर दिया पहाड़
किसी पागल का ही हो सकता है यह काम
न दिन देखा न रात
न धूप न साँझ
न बारिश न सूखा
मस्त रहा अपने जुनून में
जुनून ही बनाता है असंभव को संभव
गर ठान ले शख्स तो क्या नहीं कर सकता

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020