कविता

चलित्तर कर्मकार

आगे बढ़कर भी

जो पीछे नहीं हटा ।

यह तापस बिंदु

अविराम अवस्था लिए है

कि यह देखते ही

बन जाते रिश्ते-नाते

कैसे-कैसे भी ?

यहाँ-वहाँ सर्वत्र

कि अति सर्वत्र वर्जयेत !

उनमें सार्थकता भी

अभीष्ट बिंदु लिए है

सच में, सच में

जो अनंतिम नहीं है

अंतिम यात्रा के प्रसंगश:

आगे बढ़ते जाकर

अट्टहास और अट्टहास

हास, परिहास, इतिहास

गुमशुदा सच है

या जिंदगी का विन्यास

परिधित: व्यास

एक और ठौर

उत्साहित

और कम साहित्य

उठाईगिरी के विन्यास के जिम्मे

और भी एक मुश्तता लिए

चरैवेति-चरैवेति

दीया और बाती

सुहाबाती ।

….और भी सुभाती है

और कठिनाई भाती है ।

हर कुछ बहती है,

वे सबकुछ सहती है,

किन्तु उनके जैसा नहीं

क्योंकि वह ‘चलित्तर कर्मकार’ थे !

 

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.